पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१८२

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है कि संसार में कोई ऐसी योग्यता वाली स्त्री होगी या नहीं, यह निश्चयात्मक रीति से नहीं कहा जा सकता। अर्थात् इस प्रश्न की सहायता से मानसशास्त्र में वादविवाद की गुञ्जाइश निकल सकती है-बस, इससे अधिक नहीं। पर स्त्रियों के लिए यह तो छाती ठोक कर कहा जा सकता है कि उनमें रानी एलिज़ाबेथ,*[१] डिबोरा,†[२] या जान ऑव् आर्क‡[३] बनने की योग्यता है, क्योकि यह कोई आनुमानिक प्रमाण नहीं बल्कि प्रत्यक्ष है। यह सिद्ध हो चुका है कि क़ानून से स्त्रियाँ जिस काम को करने के लिए रोकी गई हैं उस में वे उत्तीर्ण हुई हैं-अर्थात् उसे वे भली भाँति कर सकी हैं। यद्यपि शेक्सपिअर के समान नाटक लिखने तथा मोज़ार्ट§[४] के समान


  1. *-एलिज़ाबेथ (Elizabeth) इङ्ग्लैण्ड के सिंहासन पर बैठी है। इसने इङ्ग्लैण्ड को बड़ी-बड़ी कठिनाइयों से बचाया है। इसके ही कारण इङ्ग्लैण्ड का सम्मान अधिक हुआ है। इसके समय में ही इङ्ग्लैण्ड की व्यापारिक, औद्योगिक, राजनैतिक और साहित्यिक उन्नति का बीज बोया गया था। इसके शासन में इङ्ग्लैण्ड की प्रजावृद्धी बात हुई थी।
  2. †-डिबोरा (Deborah) एलिज़ाबेथ के ही समान प्रतिष्ठित और गुणवती स्त्री इङ्ग्लैण्ड में हुई है।
  3. ‡-जॉन ऑव् पार्क (Joan of Arc) वीर फ्रेञ्च रमणी थी। इसने अपने बाहुबल से सैन्य संग्रह करके स्वदेश के बचाने के लिए अँगरेजों से घोर संग्राम किया था। परिणाम में यह जोती जलायी गई थी। जन्म १४११ ई॰।
    हमारे देश में अहिल्याबाई होल्कर, झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई और सुलताना चाँदबीबी आदि भी इसी श्रेणी की हुई हैं।
  4. §-मोज़ार्ट (Mozart) यह जर्मनी का सुप्रसिद्ध संगीत-काव्य-लेखक हुआ है। जन्म १७५६ ई॰ और मृत्यु १७९१ ई॰।