संगीत-काव्य बनाने में स्त्रियों को क़ानून ने कभी नहीं रोका, किन्तु यदि वारिसी हक़ से रानी एलिज़ावेथ और महारानी विक्टोरिया को राजपद प्राप्त न होता-तो एलिज़ावेथ ने जो बड़े-बड़े राजकीय कर्त्तव्यों को पूरा किया-उन उदाहरणों का शतांश भी इस समय नहीं कहा जा सकता था।
५-मानसशास्त्र की दृष्टि से विचार न करके, प्रत्यक्ष अनुभव से जो कुछ अनुमान निकल सकता है तो वह केवल यही कि स्त्रियों को जिन कामों की मनाही की गई है, विशेष करके उन्हीं कामों के योग्य वे पाई गई है-उन्हीं कामों में उनकी बुद्धि विशेष दिखाई दी है। क्योंकि राज्य सञ्चालन का जो उन्हें थोड़ा सा अवसर दिया गया, उससे राज्याधिकार के विषय में उनकी योग्यता निश्चयात्मक रूप से सिद्ध हो चुकी, इससे विरुद्ध प्रतिष्ठा-सम्पादन में जो उन्हें पूर्ण स्वाधीनता दी गई है, उस में उन्होंने अपनी उतनी योग्यता नहीं प्रदर्शित की। संसार के इतिहास को देखेंगे तो राज्यकर्त्ता राजाओं की संख्या से राज्यकर्त्री स्त्रियों की संख्या बहुत ही कम है; और उस बहुत कम संख्या में भी जिन्होंने राजकार्य पूरी योग्यता से निभाया ऐसी स्त्रियों की संख्या सबसे अधिक है-उस में भी विशेषता यह है कि कई रानियों के राज्यकाल में राष्ट्र पर बड़े-बड़े विपत्ति के बादल आये और उन्होंने उनसे राष्ट्र की रक्षा की। इसके अलावा विशेष चमत्कार की बात यह है कि स्त्रियों के स्वभाव