सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
(१७४)


नियमों के समझे बिना आचार या व्यवहार से अच्छा फल नहीं प्रकट किया जा सकता, इस ही प्रकार स्त्रियों की शक्तियों में तीव्र ग्राहक-शक्ति या शीघ्रावलोकन के उत्कृष्ट होने से केवल अपने अनुभव पर निस्सीम भरोसा करके अनुमान बनाने में उनसे विशेष भूलें होनी अधिक सम्भव है-यह भी मुझे स्वीकार करना चाहिए। यद्यपि जैसे-जेसे उनका अनुभव बढ़ता जाता है वैसे ही वैसे वे भी अपने विचार बदलने के लिए तैयार होती जाती हैं। किन्तु स्त्रियों में जो यह दोष या न्यूनता है, यदि इसे हटाने की कोशिश की जाय तो यह किया जाय कि उनके लिए मनुष्य-जाति के अनुभव के दरवाज़े खोल दिये जायँ-अर्थात् ऐसे उपाय किये जायँ जिन से उनका सामान्य ज्ञान बढ़े-वे बहुश्रुत बनें। यह दोष शिक्षा के द्वारा टाला जा सकता है-यह कमी शिक्षा से पूरी हो सकती है। स्त्रियों के हाथों से जो भूलें होनी सम्भव है, वे उस ही प्रकार की होंगी जैसो एक होशियार और आत्मशिक्षित पुरुष से होनी सम्भव है। एक ही स्थिति या परिपाटी में पड़ा हुआ मनुष्य जिन बातों को नहीं समझ सकता, उन बातों को स्त्रियाँ सरलता-पूर्वक समझ लेती हैं, पर जिन बातों का ज्ञान संसार को एक अर्से पहले से मिल जाता है उन बातों से अनजान होने के कारण उनके हाथ से ग़लतियाँ होती हैं। जैसे पहले बहुत से ज्ञान का अनुभव उसे हो जाता है, क्योंकि यदि यह भी न हो तो वह