पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२०९

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से एक काम को करने के योग्य हैं-केवल किसी-किसी काम में कोई-कोई मनुष्य ही विशेष प्रवीण होता है। इस ही प्रकार स्त्रियों का मुकाबिला यदि पुरुषों से किया जायगा तो एक काम के लिए दोनों समान योग्यता वाले प्रतीत होंगे; और जैसा सदैव हुआ करता है वैसे ही कुछ कामों में कुछ व्यक्ति विशेष प्रवीण निकल आवेंगे। किन्तु स्त्रियों को आज तक जो शिक्षा दी गई है, इस कारण, और उनकी शारीरिक बनावट के कारण, पैदा होने वाले मूल दोष और भी अधिक दृढ़ और सबल हो गये हैं; यदि अब उस शिक्षा के बदले उन्हें इस प्रकार की शिक्षा दी जाय कि जिसके कारण उनके मूल दोष दृढ़ होने के बदले मिटते जायँ, तो निस्सन्देह स्त्रियाँ भी पुरुषों के समान दृढ़ता और होशियारी से काम कर सकेंगी।

१२-फिर भी यदि हम मान लें कि स्त्रियों के मन पुरुषों की अपेक्षा अधिक चञ्चल होते हैं, दीर्घकाल तक एक ही काम के पीछे पड़ कर उसे पूरा कर डालने का दृढ़ निश्चय उन में नहीं होता, तथा उनकी बुद्धि केवल एक मार्ग का अवलम्बन करके उसकी चर्म्मसीमा तक पहुँचने की अपेक्षा बीच में ही इधर-उधर झुक जाने वाली होती है; तो प्रस्तुत काल की स्त्रियों पर चाहे यह उक्ति पूर्ण रूप से घटती हो। (यद्यपि इस में भी अपवाद के बहुत से उदाहरण निकलते हैं।) जिन विषयों में मन को एक ही विचार और एक ही प्रवृत्ति