सरल है। इसका आधार उस इन्द्रिय में होकर ख़ून के वेग से बहने पर है, क्योंकि इन्द्रिय को वेग देने वाली और इसे फिर से पूर्व्व-स्थिति पर पहुँचाने वाली शक्ति विशेष करके ख़ून की चाल पर अवलम्बित है। केवल मस्तिष्क के बड़ेपन को देखेंगे तो पुरुष ऊँचे है, और मस्तिष्क के भीतर ख़ून के बहने की चपलता के विषय में स्त्रियाँ बड़ी हैं-इस में अचम्भे की कोई बात नहीं है, क्योंकि स्त्री और पुरुष के मानसिक व्यापार में आज तक जो अन्तर देखा गया है, उसका सारांश इस अनुमान से निकल आता है। दोनों के मस्तिष्क की रचना में इस प्रकार का भेद होने के कारण उनके मानसिक व्यापार में जिस भिन्नता के होने का अनुमान हम करते हैं, वह अनुमान अनेक प्रत्यक्ष भेदों के साथ मिलता है। हमारे
पहले अनुमान के अनुसार पुरुषों का मानसिक व्यापार विशेष मन्दगति वाला होना चाहिए। विचार करने में स्त्रियाँ जितनी शीघ्रता कर जाती हैं उतनी शीघ्रता की पुरुषों से हमें उम्मीद नहीं। सुख-दुख का स्पर्श स्त्रियों के मन पर शीघ्र होना चाहिए। पदार्थ जैसे ही आकार में बड़ा होता है वैसे ही उसके हलने-चलने में अधिक समय लगता है; किन्तु जहाँ एक बार वह चल पड़ता है तब अर्से तक उसी स्थिति में चलता रहता है। पुरुष के मस्तिष्क की यही दशा होने के कारण किसी भी मानसिक व्यापार में प्रवृत्त होते हुए उसे अधिक समय लगता है, किन्तु शुरू करने के बाद उस काम
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