पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२२०

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लोगों को जो ज्ञान होता है वह अयथार्थ और ग़लत होता है। अँगरेज़ों की भूलें अभावदर्शक (negative) होती हैं, और फ्रेंञ्च लोगों की भूलें भावदर्शक (positive) होती हैं। अँगरेज़ निश्चय करते हैं कि अमुक बात का अस्तित्त्व पृथ्वी पर था ही नहीं, क्योंकि उनके देखने में कभी नहीं आया; उस ही समय फ्रेञ्च लोग निश्चित करते हैं कि अमुक बात तो प्रत्येक समय और प्रत्येक देश में होनी चाहिए, क्योंकि उनके देखने में आई है। अँगरेज़ों को मनुष्य के मूल स्वभाव का बिल्कुल ज्ञान नहीं होता; क्योंकि उसके देखने का उन्हें अवसर ही नहीं मिला। फ्रेञ्चों की जानकारी इस विषय में बहुत होती है, पर उसका सच्चा स्वरूप समझने में वे भूलते हैं-क्योंकि जिस स्वभाव का उन्हें अनुभव होता है वह विकृत और अशुद्ध होता है। अवलोकन का जो कुछ विषय होता है, वह समाज-संगठन के असर से ऐसा विकृत हो जाता है कि उसकी नैसर्गिक प्रवृत्तियाँ दो तरह से ढक जाती हैं-या तो उसका कुदरती रूप सर्वथा ही ढक जाता है और या रूपान्तर हो जाता है। जब पहला प्रकार घटता है तब मूल स्वरूप का जो सत्वहीन अवशिष्ट भाग रह जाता है वह अवलोकन के काम में सर्वथा अनुपयोगी नहीं होता; पर जब दूसरा प्रकार घटता है तब उसका विशेष भाग अवशिष्ट अवश्य होता है, किन्तु उसका विकाश स्वेच्छा से होने के बदले अस्वाभाविक ही होता है।