पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२२३

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है तो वह उस ही ज़माने में, और इस में भी यदि इँगलैण्ड और फ्रान्स को छोड़ देवें तो बाकी स्त्रियों में ऐसी स्त्रियों की संख्या बहुत ही कम रह जायगी। फिर स्त्रियों से यह आशा रखनी ही व्यर्थ है कि वे इस थोड़े से समय में इस विषय की अच्छी जानकारी या विज्ञता प्राप्त कर सकी होंगी। जिन-जिन बातों में अपनी आज़माइश कारने की स्त्रियों को स्वाधीनता मिली है, उन सब बातों में, और ख़ास करके साहित्य में स्त्रियों ने अपनी दक्षता और विज्ञता का जो परिचय दिया है वह सन्तोषजनक है; क्योंकि उनको मिले हुए समय, और इस विषय की ओर झुकने वालियों की संख्या को यदि हम ध्यान में रख कर इस विषय पर विचार करें तो हम उनसे जितनी आशा रख सकते थे वह पूरी हुई है-यह स्पष्ट है। इस विषय को लेकर यदि हम अब से पहले के ज़माने को खोजने जायँगे तो बहुत थोड़ी स्त्रियों को ग्रन्थलेखन की ओर झुके पायेंगे; किन्तु उन थोड़ी ही स्त्रियों ने अपने काम में अच्छा कौशल दिखाया हैं। ग्रीक लोगों ने सेफो (Sappho) नामक स्त्री की गणना उत्कृष्ट कवियों में की है। इस ही प्रकार पिण्डार नामक प्रसिद्ध कवि मिर्टिस नाम्नी स्त्री से कविता की शिक्षा लेता था; इस ही प्रकार उत्तम से उत्तम कविता का पुरस्कार पिण्डार के हाथ पहुँचने से पहले कोरिन्ना नामक स्त्री ने पाँच बार उसे टोका था। पिण्डार जैसे