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पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२२७

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व्यक्त कर सकते हैं, यह ठीक है। और प्रत्येक समय में यही होगा। ज्ञान की अट्टालिका इतनी ऊपर पहुँच गई है कि जिसे ऊपर वाली मञ्जिल पर काम करने की आवश्यकता होती है और जो वर्तमान को कुछ आगे बढ़ाने की महत्वाकांक्षा रखता है-उसे सब सामान से लैस होकर बहुत ऊपर जाने की आवश्यकता होती है। किन्तु जिन्होंने इतना काम उठाया हो ऐसी कितनी स्त्रियाँ इस समय दिखाई देती हैं? वर्तमान समय में गणितशास्त्र-सम्बन्धी नवीन खोज यदि कोई स्त्री कर सकती है तो वह मिसेज़ समरविल है। जिन दो तीन व्यक्तियों ने गणित-शास्त्र के ज्ञान को इस समय विशेष उच्च बना दिया है, उनके बराबर बैठने का सम्मान यदि यह विदुषी स्त्री न प्राप्त कर सकी, तो क्या इससे यह सिद्ध होता है कि स्त्रियों की बुद्धि हीन है? जब से अर्थशास्त्र का विचार शास्त्रीय पद्धति से होने लगा तब से इस विषय पर उपयोगी ग्रन्थ लिखने वाली दो स्त्रियाँ निकली हैं, किन्तु इतने ही समय में इस विषय पर लिखने वाले जो अनेक पुरुष हुए हैं उन्होंने उनसे अधिक और क्या किया है? यह सत्य है कि अब तक कोई स्त्री उत्तम इतिहास नहीं लिख सकी, पर इस काम के योग्य जितने ज्ञान और जितनी सामग्री की आवश्यकता है, उसे भी क्या कोई स्त्री प्राप्त कर सकी है? इस ही प्रकार भाषाशास्त्र पर प्रकाश डालने वाले ग्रन्य भी किसी स्त्री ने नहीं लिखे, इसका कारण यह है कि संस्कृत, स्लेवोनिक, गोथिक,