पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२७५

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झुकाव पुरुषों से कहीं अधिक बढ़ा-चढ़ा है, और न्याय-परायणता का गुण पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में कम है। मनुष्य के आन्तरिक जीवन को देखेंगे तो मालूम होगा कि स्त्रियों का सहवास पुरुषों के व्यवहार पर जो असर करता है, वह सर्वथा सौम्य गुणों का भरण-पोषण करता है और दृढ़ता, स्थिरता, धृष्टता आदि गुणों को निर्बल बनाता है। सांसारिक व्यवहार में नीति के कसौटी-स्वरूप जो अनेक प्रसङ्ग उपस्थित होते हैं, उन प्रसङ्गों पर उदाहरणार्थ स्वार्थ और सद्गुण जब अपनी-अपनी ओर मनुष्य को खींचते हैं तब पुरुषों के व्यवहार पर स्त्रियों की इच्छाओं का जो प्रभाव पड़ता है वह विविध प्रकार का होता है। जिस सद्गुण के विषय में पुरुष की परीक्षा होने वाली होती है, वह यदि स्त्री के मन में धार्मिक और नैतिक शिक्षा के द्वारा पूरा बैठा दिया गया है-तभी उस के द्वारा नीति का समर्थन हो सकता है। उस दशा में स्त्री के उत्साह दिलाने से वे पुरुष ऐसा आत्म-निग्रह प्रकट करते हैं कि वह प्रोत्साहन न होता तो उन से उस विषय की आशा रखनी ही व्यर्थ होती। किन्तु इस समय स्त्रियों को जो शिक्षा दी जा रही है वह इतनी भद्दी और एकमार्गावलम्बिनी है कि नैतिक तत्त्व का प्रकाश उनके हृदय तक बहुत मुश्किल से पहुँचता है, इसके अलावा उस में विशेष करके निषेधात्मक तत्त्व ही होता है। उदाहरण के तौर पर फलाने-फलाने काम नहीं करने चाहिएँ, यही नैतिक शिक्षण