पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२९१

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पति की इच्छा प्रधान रखनी पड़े जिससे बहुधा स्त्रियों को अत्यधिक मानसिक कष्ट होता है। और इच्छापूर्वक या अनजान में ही वह अपने अधिकार का उपयोग पति के प्रयास को हटाने में करती है।

१६––स्त्री-पुरुष की मनोवृत्ति और रुचि में जो भेद दिखाई देता है उसका कारण शिक्षा का भेद ही है तथा इस प्रकार के भेद का बिल्कुल न होना––ये कल्पना केवल मूर्खता-भरी है। किन्तु इस बात में ज़रा भी अतिशयोक्ति नहीं है कि शिक्षा-भेद से ही इनकी वृद्धि हुई है और ये सर्वथा अपरित्याज्य होगये हैं। स्त्रियों की वर्तमान शिक्षण-पद्धति जब तक इसी प्रकार चली जायगी तब तक दैनिक व्यवहारों में जो स्त्री-पुरुष की रुचि-भिन्नता दिखाई देती है वह नष्ट नहीं हो सकती। सांसारिक ऐसे कार्यों में जिनमें दोनों की हाँ या ना की ज़रूरत हो, तो दोनों की सच्ची मित्रता का यही लक्षण है कि वे एकमत हों; किन्तु यदि स्त्री-पुरुष ऐसे ऐक्य का प्रयास करेंगे तो वे निराश ही होंगे। इस प्रकार का ऐक्य यदि किसी प्रकार सम्भव है तो वह केवल एक ही प्रकार से हो सकता है, अर्थात् पुरुष अपनी जन्म की साथिन् ऐसी स्त्री को बनावे जो ऐसी जड़ हो कि जिसे अपनी सुध-बुध ही न हो; किन्तु ऐसा होना भी असम्भव ही है। यह निश्चय-पूर्वक नहीं कहा जा सकता कि कोई स्त्री ऐसी होगी जो अपने आपको सर्वथा ही भूल