पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२९०

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होते हैं तभी वे एक दूसरे की रुचि-भिन्नता को भी निभा ले जाते हैं यानी एक दूसरे की रुचि का बाधक नहीं होता। किन्तु विवाह करते समय क्या लोग परस्पर सहिष्णुता की आशा रखते हैं? दोनों की रुचि भिन्न होने से इच्छाओं में भी भिन्नता होती है, और परस्पर स्नेह और कर्तव्य का अङ्कुश न रक्खें तो हर एक घरेलू प्रश्न के निराकरण में लड़ाई-झगड़ा ही उपस्थित हो––यह स्पष्ट है। इस प्रकार के जोड़े में प्रत्येक व्यक्ति अपने सहवास-समागम के लिए जैसे मनुष्यों को अपनी रुचि के अनुसार चुनेंगे उस में भी भिन्नता होगी। एक को जैसा बोलने चालने वाला व्यक्ति पसन्द होगा दूसरा उसकी उपेक्षा करेगा; फिर भी ऐसे व्यक्ति मिल जायँगे जो दोनों के स्नेह के पात्र हों। क्योंकि पन्द्रहवें लुई के ज़माने में जैसे स्त्री-पुरुष घर के न्यारे-न्यारे भागों में रहते थे वैसे अब नहीं रहते, और उनसे मिलने वालों के नाम जैसे न्यारे-न्यारे थे वैसे भी अब नहीं हैं। किन्तु अपने बच्चों को कैसी शिक्षा देनी, और उन के विचार किस ओर झुकाने इस विषय में स्त्री-पुरुष का मतभेद रहे होगा। प्रत्येक के मन में यह बात होती ही है कि बच्चों के विचार और उनकी प्रवृत्ति अपने ही समान बने-स्वाभाविक है। इसका परिणाम यह होता है कि या तो दोनों की समझ के बीच का मार्ग पकड़ा जाय जिससे दोनों की इच्छाएँ आधी तृप्त हों और आधी अतृप्त, और या स्त्री को