पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/७०

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दशा में भी उच्च वर्ग वालों के सहभागी होने का दावा उन्होंने कभी नहीं किया। उनके प्रयत्न का उद्देश केवल इतना ही था कि उच्च वर्ग वाले जो उन पर बेरोक-टोक ज़ुल्म करते थे उसकी कोई हद होनी चाहिये। ऊपर कही हुई इन सब बातों का सार यह निकलता है कि लोग जिसे "सृष्टिविरुद्ध" या "अस्वाभाविक" कहते हैं उसका मतलब सिर्फ "रूढ़िविरुद्ध" होता है; और जो बातें प्रचलित रूढ़ि और प्रचलित नियमों के अनुसार होती हैं वे सब लोगों को स्वाभाविक ही मालूम होती हैं-लोगों को उनके विषय में कुदरती-पन का ही सपना आया करता है। इस ही प्रकार स्त्रियों की पुरुषों के आधीन रहने की चाल सर्वव्यापिनी और मामूली होने के कारण, इस चाल के ख़िलाफ़ जो कुछ कहा जायगा वह अपने आप लोगों को अस्वाभाविक और सृष्टिविरुद्ध मालूम होगा। पर एक-एक क़दम पर हम इस बात का अनुभव कर सकते हैं कि लोगों को इस तरह की समझ का बन जाना ही रूढ़ि है। पृथ्वी के दूर-दूर के देशों को जब इङ्गलैण्ड का परिचय मिलता है और वे सब से पहली बार सुनते हैं कि इस देश पर रानी का राज्य है-तब उन्हें इतना अचम्भा होता है जितना और किसी प्रकार नहीं हो सकता। यह बात उन्हें इतनी अचम्भे से भरी मालूम होती है, इतनी अस्वाभाविक और सृष्टिक्रम-विरुद्ध जान पड़ती है कि एकदम उनके मानने में ही नहीं आती; पर