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पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/९३

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पद्धति इन दोनों में अच्छी कौन सी है, तब यह कहना ही पड़ता है कि दोनों के पक्ष में सबल प्रमाण है, इस ही प्रकार इस विषय में कहना चाहिए कि रूढ़ि के पक्ष में अनुमान करने से जितने कारण है उसके विपक्ष में भी उतने ही है; अर्थात् दोनो ओर की दलीलें बराबर ज़ोरदार है।

१७-मैं लोगों से सिर्फ़ इतना ही चाहता हूँ कि इस विषय का विवेचन करने में, मनुष्य मात्र में प्रचलित रूढ़ि भौर लोकमत जो इसके पक्ष में है, केवल इन दोनों बातों पर ही ध्यान न देते हुए, इसका निर्णय गुण-दोषों की विवेचनापूर्वक वादविवाद करके न्याय और नीति के अनुसार करना चाहिए, जिस प्रकार मनुष्य-जाति की अन्य सामाजिक व्यवस्थाओं के भले-बुरे का निर्णय करते समय इन सवालों को वाद विवाद पूर्वक निश्चित करते हैं कि वह व्यवस्था मनुष्य-जाति का कल्याण कर सकती है या नहीं, उस व्यवस्था के द्वारा उत्पन्न होने वाले परिणाम शुभ हैं या अशुभ, जिस प्रकार हम उन सामाजिक व्यवस्थाओं का निर्णय मनुष्य-जाति के कल्याण पर ध्यान रख कर करते हैं उस ही प्रकार इस विषय का निर्णय करते समय भी लिङ्ग-भेद को एक ओर घटाकर मनुष्य-जाति के कल्याण को लक्ष्य में रखते हुए इस पर विचार करें; तथा इस पर जो वाद-विवाद किया जाय वह केवल शाब्दिक न होना चाहिए बल्कि गहरा और सबल हो। वाद-विवाद करते समय केवल ऊपर के अनुमान पर सन्तोष