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पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/९६

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से बहुत सहायता मिल सकती है कि वैद्यक विद्या के जानकारों और शरीरशास्त्र-वेत्ताओं ने स्त्री और पुरुषों के शरीर के, कौन-कौन से भेद बताये हैं और उन्हें वे कितने अंशों में निश्चित कर सके हैं। पर हम लोगों में ऐसा कोई भूला-भटका ही मनुष्य होगा जो शरीरशास्त्रज्ञ होकर मानसशास्त्र, को भी जानता हो। इसलिए स्त्रियों का मनोधर्म अर्थात् मानसिक विशेष गुण सामान्य पुरुषों के उस ज्ञान से विशेष हो ही नहीं सकता। इस विषय का पूर्ण प्रमाण न मिलने का एक और भी कारण है। इस विषय का वास्तविक ज्ञान

केवल स्त्रियों को ही हो सकता है, किन्तु स्त्रियों ने आगे बढ़कर अपने हृदय की बात संसार से कभी नहीं कही; और उनके मुँह से जो थोड़े-बहुत शब्द निकले भी हैं, वे सच्चे हार्दिक शब्द न होकर सिखाये हुए है, इसलिए विश्वास के योग्य नहीं। मूर्ख स्त्रियों का मतलब समझना कुछ सरल है, क्योंकि मूर्खता विशेष करके सब कहीं एक सी ही होती है, और मूर्ख मनुष्यों के जैसे विचार विशेष करके उनमें प्रविष्ट होते हैं, उनके आस-पास वाले मनुष्यों के विचार और मनोधर्म पर जो प्रभाव पड़ता है-वह उनके विचारों से कुछ-कुछ अनुमान में लाया जा सकता है। किन्तु जिन का मत और जिनके विचार स्वतःसिद्ध और अपने आप पैदा होते हैं, उनके भाव जानने का काम उतना सरल नहीं होता। अन्य स्त्रियों की बात तो जाने दीजिए किन्तु ऐसे मनुष्य ही बहुत कम

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