कारण हृदय खोलकर बातें करने में विशेष संकुचित नहीं होते; यदि वास्तविक रीति से देखेंगे तो पुरुष को स्त्रियों के बारे में जो कुछ ज्ञान मिलता है वह इस ही प्रकार से। पुरुष को स्त्रियों के स्वभाव का जो कुछ अनुभव मिलता है, उसे केवल अपनी स्त्री से ही प्राप्त होता है, अर्थात् अन्य स्त्रियों के स्वभाव का अभ्यास वह नहीं कर सकता। इसलिए स्त्री-स्वभाव के विषय में हम जो कुछ अनुमान करते हैं वह केवल
एक स्त्री से प्राप्त हुए छोटे से कारण पर। फिर उस बात को भी निःशङ्क होकर नहीं कह सकते कि उसे स्त्री-स्वभाव का जो कुछ अनुभव हुआ है वह यथार्थ भी है या नहीं। उस अनुभव के कुछ अंशों के यथार्थ होने का अनुमान किया जा सकता है जो उस स्त्री से प्राप्त हो जिसके स्वभाव में सामान्यता न होकर कुछ जानने योग्य विशेषता हो; और स्वभाव को परखने वाला पुरुष जज के समान सब प्रकार की योग्यता
रखता हो, और वह योग्यता सहृदयता, प्रेम और मिलनसारी के स्वभाव में परिवर्तित हो तथा अपनी स्त्री के प्रत्येक मनोधर्म को बिना प्रयास वह जान पाता हो, अथवा स्त्री की उसके सामने हृदय खोल कर निःसंकोच बातें करने में कोई रुकावट न हो-इस प्रकार अनुभव प्राप्त करके जो पुरुष स्त्री-स्वभाव के बारे में कुछ सम्मति देगा तो वह कुछ ज़ोरदार हो सकती है। मेरी समझ के अनुसार तो इस प्रकार के सब
संयोगों का मिलना महा कठिन काम है। बहुत से दम्पति
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