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पांचवां अध्याय

चह दूसरे को कोई काम करने की सहायता दे, चाहे न करने की। समाज उले नहीं रोक सकता। यह दलील स्वतंत्रता देनेके पक्ष में हुई। पर जो लोग स्वतंत्रता देने के पक्ष में नहीं हैं वे और ही तरह की दलील पेश करेंगे। कहेंगे कि यद्यपि यह सच है कि, जिन बातों से अकेले एक ही आदमी क हित चा अहित से लम्बन्ध है उनको रोकने, या सजा देने के इरादे से सत्ता के जोर पर, बुरा या भला ठहराने, का अधिकार समाज को नहीं है; तथापि समाज या सरकार को यदि कोई वात दुरी जान पड़े तो उसे इतना अधि- कार जरूर है कि वह उसके बुरे या भले होने के प्रश्न को विवादास्पद समझे रहे । यदि यह मान लिया जाय तो जो लोग निरपेक्ष और पक्षपातहीन होकर नहीं, किन्तु अपने फायदे के लिए-अपना पेट भरने के लिए-दूसरों को, सरकार की समझ के प्रतिकूल, उपदेश देते हैं उनके उपदेश के असर से लोगों को बचाने के लिए चदि समाज या सरकार कोशिश करे तो वह कोशिश अनुचित नहीं कही जा सकती। जो लोग अपने फायदे के लिये दूसरों को उपदेश देने हैं उनको वैसा करने से यथासम्भव रोकना, और सब लोगों को जो मार्ग-अच्छा या बुरा-पसन्द हो उसीसे उन्हें चलने देना सुनासिब है। ऐसा करने से किसीकी कुछ हानि नहीं। एक उदाहरण लीजिए । खेल से सम्बन्ध रखनेवाला कानून यद्यपि ऐसा है कि उसके अनु- सार इस बात का निश्चय ठीक ठीक नहीं हो सकता कि कौन खेल जा और कोन वेजा है; और यद्यपि हर आदमी अपने घर में, या परस्पर एक दूसरे के घरों में, किसी ऐसी जगह जो चन्दे से खोली गई हो और जहां सिर्फ 'चन्दा देनेवाली मित्र-मंडली इकट्ठा होती हो, जुआ तक खेल सकती है; तथापि सर्वसाधारण के लिए जुआ खेलने के अड्डे खोलने की मनाई करना अनुचित नहीं। यह जरूर सच है कि इस तरह की मनाई से पूरी पूरी कामयाबी कभी नहीं हो सकती। क्योंकि पुलिस को चाहे जितना अधिकार दिया जाय और वह चाहे जितनी सख्ती करे, तथापि, किसी न किसी बहाने, जुला रहने के महे हमेशा खोले ही जाते हैं। परन्तु इस तरह के जुआ-घर हिवाई जगहों में होते हैं और जो लोग उनको खोलते हैं वे इस बात की परसाती रसते हैं कि उनका पता कहीं सरकारी अफसरों को न लग जाय। इसलिए जो लोग पहे. भारी नहीं हैं और ऐसे अड्डों की तलाश में नहीं पहले उनको लोड पर और भादमियों को उनका पता नहीं चलता । खुले