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पांचवां अध्याय ।

पर, अपना काम आप ही करने की आदत जिन लोगों की होती है उनकी स्थिति और ही तरह की होती है; उनमें और ही गते देख पड़ती है। फ्रांस । यहां बाहूंत से आदमी ऐसे हैं जिन्होंने फौज़ में नौकरी की है। उनमें से कितने ही ऐसे भी हैं जो उदेदार रहे हैं; अतएत्र कोई सार्वजनिक दङ्गा, फसाद या विद्रोह होने पर अगला बनने, और लड़ाई छिड़ जाने पर उसकी व्यवस्था करने, के लायक कुछ लोग वहां जान पाने, जाते हैं। जैसे लड़ाई के काम में फ्रांसवाले हमेशा तैयार रहते हैं वो ही मुल्की मामलों और उद्योग के कामों में अमेरिकाबाले तैयार रहते हैं । यदि अमेरिका की गवर्नमेंट नष्ट हो जाय, और सब लोग विना गवर्नमेंट के छोड दिये जाय, तो ये लोग तुरन्त ही दूसरी गवर्नमेंट धना लें। उनमें से हर आदमी इस काम को योग्यता से कर सकता है। वे लोग किसी भी मुल्की मामले या सार्वजनिक उद्योग के काम को बुद्धिमानी, सुव्यवस्था और निश्चय से करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं । जिस देश के लोग स्वाधीन हैं जो देश स्वतंन कहा जाता है-वहां आदमियों में इन बातों का होना बहुत जरूरी है । और जिन लोगों में ये गुण होंगे वे अवश्य ही स्वाधीन होंगे; वे कभी पराधीन होकर न रहेंगे। राज्यरूपी घोड़े की लगाम पकड़कर उसे अपने हाथ में रखनेवाले एक या अनेक आदमियों की गुलामी ये लोग कभी पसन्द न करेंगे। राज्यसूत्र को हाथ में रखने ही के कारण ये लोग अधिकारियों की पराधीनता कदापि बर्दाश्त करने के नहीं। ऐसे देश में कोई महकमेशाही या अधिकारी-मण्डली इस तरह के स्वतंत्र-स्वभाववाले आदमियों से कोई काम, उनकी इच्छा के विरुद्ध, नहीं करा सकती है और न कोई काम करने से उन्हें रोक ही सकती है। परन्तु जहां सब काम अधिकारियों ही के द्वारा होते हैं वहां उनकी इच्छा के विरुद्ध कोई काम नहीं हो सकता । क्योंकि ऐसे देश में जितने अनुभवशील और काम-काज करने लायक लोग होते हैं उन्हींका समुदाय राज्य की सारी व्यवस्था करता है; वही राज्य चलाता है; वही बाकी के सब आदमियों पर हुकूमत करता है। यह समुदाय जितना अधिक प्रवल होता है; उसकी की हुई व्यवस्थाः जितनी अधिक उत्तम होती है। समाज के सब वर्गों में से जितने अधिक. लायक और बुद्धिमान आदमी नौकरी के लालच से इस समाज में शामिल होते हैं; और उसमें प्रवेश पाने के लिए जिस तरह की शिक्षा दरकार है