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पृष्ठ:स्वाधीनता.djvu/२५५

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स्वाधीनता ।

- एकीभूत बुद्धि चतुरता और शक्ति से जितना हो सके उतना अधिक फायदा - 'उठाना चाहिए । यह एक ऐसा प्रश्न है कि इसका उत्तर देने में अनेक छोटी " छोटी बातों पर विचार करना पड़ता है और उसके अनेक छोटे छोटे भेदोंको · भी ध्यान में रखना पड़ता है। अतएव इस सम्बन्ध में कोई सर्व-व्या- 'पक नियम नहीं किया जा सकता । परन्तु मेरी समझ में जिस व्याव- 'हारिक बात का जिक्र मैं करने जाता हूं उसे ध्यान में रखने से- 'उसका अनुकरण करने से आये हुए विन्न और अनिष्ट दूर हो जा- यंगे । उस के अनुसार काम करने से आपदाओं से रक्षा होगी। उसे आदर्श मान कर सामने रखने से अहित होने का डर न रहेगा और सब ‘काम व्यवस्थित रीति से चला जायगा । वह तत्त्व यह है कि राजसत्ता से “सम्बन्ध रखनेवाला अधिकार, जहां तक हो सके, अधिक आदमियों में बांट देना चाहिए । पर ऐसा करने में इस बात का खयाल रखना चाहिए कि अधिकारियों को अपना कर्तव्य पूरा करने में किसी तरह की बाधा न आवे ...-अर्थात् अपना अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए उन लोगों के पास जो 'अधिकार और साधन हों उनमें कमी न होने पावे । एक बात यह और होनी चाहिए कि, जहां तक हो, राज्य-विषयक सारी बातें एक मुख्य अधि. कारी के पास पहुंचे और उसके पास से और लोगों को वे प्राप्त हो सके। उदाहरण के लिए अमेरिका के न्यू इंग्लैण्ड नामक सूबे को देखिए । वहां की म्यूनिसिपालिटी का प्रवन्ध बहुत अच्छा और नमूनेदार है । जहां म्यूनिसिपालिटी होती है वहांवाले अपनी तरफ से मेम्बर चुनते हैं और 'उनको सब काम, थोड़ा थोड़ा बाँट देते हैं । वह काम मेम्बरों और कर्मचारियों ही पर नहीं छोड़ दिया जाता। हर एक महकमें में देखभाल करनेवाला एक दफ्तर अलग होता है। इस दफ्तर का मुख्य अधिकारी सब म्यूनिसिपालिटियों के कायदे निर्ख और रदबदल इत्यादि बातों से सम्बन्ध रखनेवाले कागजात अपने दफ्तर में रखता है। दूसरे देशों की म्यूनीसिपा- लिटियों में जानने लायक जितने रद-बदल होते हैं उनकी भी वह खबर रखता है। यही नहीं, किन्तु राजनीति-शास्त्र के मामूली सिद्धातों से भी वह अपना परिचय बनाये रखता है। देशभर में जितनी म्यूनिसिपालिटियां - ती हैं उनके दफ्तरों की जांच करने, और जो कुछ उनमें होता है उसे , का इस अफसर को पूरा अधिकार रहता है ।जो बातें सब लोगों के