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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल

मिसेज़ यो

अच्छा! वहाँ भी आदमियों की भरमार है। मैं तो यो को बर्फ़ के मैदान में भेज देती हूँ कि अमीरों को बर्फ़ पर चलाएँ। जो कुछ मिल जाय वही सही। उन्हें घर की चिन्ता से तो छुट्टी मिल जाती है।

मिसेज़ बल्जिन

[रूखी और उदास आवाज़ से]

मर्दो को तो जाने दो, लड़कों का हाल और भी बुरा है। मैं तो उन्हें सुला देती हूँ। पड़े रहने से भूख कुछ कम लगती है, लेकिन रो-रोकर सब नाक में दम कर देते हैं।

मिसेज़ यो

तुम्हारे लिए तो इतनी कुशल है कि बच्चे छोटे छोटे हैं। जो पढ़ने जाते हैं उन्हें तो और भी भूख लगती है। क्या बल्जिन तुम्हें कुछ नहीं देते?

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