पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१०३

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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल


मैंने कहा फिर क्यों अपनी ज़िद पर अड़े हुए हो? बोला, "मैं रॉबर्ट की बात को नहीं दुलख सकता।" बस जहाँ देखो रॉबर्ट-रॉबर्ट! अगर वह न बोले, तो आज हड़ताल बन्द हो जाय। उस की बातें सुन कर सभों पर नशा चढ़ जाता है,

[वह चुप हो जाती है मिसेज़ रॉबर्ट के मुख से दुःख का भाव प्रगट होता है।]

तुम यह कब चाहोगी कि रॉबर्ट हार जाय! वह तुम्हारा स्वामी है। साये की तरह सब के पीछे लगा रहता है।

[मिसेज़ रॉबर्ट की ओर देखकर मुँह बनाती है।]

जब तक राउस रॉबर्ट से अलग न हो जायगा मैं उस से बात न करूँगी। अगर वह उस का साथ छोड़ दे, तो फिर सब छोड़ दें। सब यही चाह रहे हैं कि कोई आगे चले। दादा उन से बिगड़े हुए हैं-सब के सब मन में उन्हें गालियाँ देते हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

तुम्हें राबर्ट से इतनी चिढ़ है!

[दोनों चुप चाप एक दूसरे की ओर ताकती हैं]

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