पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१४२

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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल

टॉमस्

यह उन के लिए लज्जा की बात नहीं है! आदमी जो कुछ कर शकता है, वह उन्होंने किया। लेकिन वह मानव शुभाव को पलट देना चाहते हैं। बिलकुल सीधी सी बात है। कोई दूसरा होता तो वह भी यही करता। लेकिन जब धरम मना कर रहा है तो उन्हें उस की बात माननी चाहिए।

[जैन कोयल की नक़ल करता है]

क्या चें चें लगा रक्खी है।

[द्वार के पास जाकर]

यह देखो मेरी बेटी आ गई। तुम्हारा जी बहलायेगी। अच्छा अब परनाम करता हूँ, मैडम। रंज मत करना। कुढ़ना बुरा है। मेरी बात मानो।

[मैज अन्दर आती है और खुले हुए द्वार पर खड़ी होकर सड़क की ओर देखती है]

मैज

दादा, आप को देर हो जायगी। जलसा शुरू हो रहा है।

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