पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१९९

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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल

एडगार

[कंधा हिलाकर]

बहिन, अगर तुम्हें राएँ कम मिलेंगी तो मानना ही पड़ेगा।

एनिड

ओह !

[घबराकर खड़ी हो जाती है]

लेकिन क्या वह इस्तीफ़ा दे देंगे?

एडगार

अवश्य। यह तो उन के सिद्धान्तों की जड़ ही काट देता है।

एनिड

लेकिन एडगार, इस कम्पनी पर उन्हों ने अपना तन मन सब अर्पण कर दिया। उन के लिए तो कुछ रह ही न जायगा। भयंकर समस्या खड़ी हो जायगी।

[एडगार अपने कंधे हिलाता है]

देखो टेड, वह बहुत बूढ़े हो गए हैं। उन सबों को मना करना।

१९०