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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल
एनिड
दादा।
[ऐंथ्वनी दुहरे दरवाज़े पर रुक जाता है।]
मुझे तुम्हारी ही चिन्ता है।
ऐंथ्वनी
[और नम्र होकर]
बेटी, मैं अपनी रक्षा आप कर सकता हूँ।
एनिड
तुम ने सोचा है, अगर वहाँ-
[उँगली दिखाती है]
तुम्हारी हार हो गई तो क्या होगा?
ऐंथ्वनी
मेरी हार हो क्यों?
एनिड
दादा, उन लोगों को इस का अवसर न दीजिए। आप का जी अच्छा नहीं है। आप के वहाँ जाने की ज़रूरत ही क्या है।
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