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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२४१

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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल

स्केंटिलवरी

[उन्मत्त होकर]

मैं इसे नहीं मानता, किसी तरह नहीं। मेरे हृदय में दया है, हम सभी सज्जन हैं।

एडगार

[श्लेषक भाव से]

हमारी सज्जनता में कोई बाधा नहीं है। यह हमारी कल्पना का दोष है, मि॰ स्केंटिलबरी।

स्केंटिलबरी

वाहियात! मेरी कल्पना तुम्हारी कल्पना से घट कर नहीं है।

एडगार

जैसी होनी चाहिए वैसी नहीं है।

वाइल्डर

मैंने पहले ही कहा था!

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