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अङ्क ३
[दृश्य १
हड़ताल
आनेवाले हैं। अगर मैं अपने आचरण में इस विपत्ति को अपने देश पर लाऊँ तो मैं अपने भाइयों को मुह न दिखा सकूँगा।
[ऐंश्वनी सामने की ओर शून्य में ताकता और पूरा सन्नाटा छाया हुआ है। फ्रॉस्ट बड़े कमरे से आता है और ऐंथ्वनी के सिवा और सब लोग उसकी ओर चिंतित हो होकर ताकते हैं।]
फ्रॉस्ट
[ऐथ्वनी से]
हुजूर, मजदूर लोग यहाँ आ गए।
[ऐंथ्वनी उसे चले जाने का इशारा करना है] क्या उन लोगों को यहाँ लाऊँ?
ऐंथ्वनी
ठहरो।
[फ्रॉस्ट चला जाता है ऐथ्वनी घूमकर अपने पुत्र की ओर ताकता है]
अब मैं उस आक्षेप पर आता हूँ जो मेरे ऊपर किया
गया हैं।
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