पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२७०

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अङ्क ३]
दृश्य १
हड़ताल

रॉबर्ट

[हाथ छुड़ाकर]

घर!

[दोनों साथ-साथ जाते हैं]

एनिड

[धीमी आवाज़ में अपने बाप से]

दादा, अपने कमरे में आइए, अपने कमरे मे आइए।

[ऐंथ्वनी ज़ोर लगा कर उठता है। वह रॉबर्ट की तरता फिरता है जो उसकी तरफ़ ताक रहा है। दोनों कई सेकंड तक एक दूसरे को टकटकी लगाए देखते रहते हैं। ऐश्वनी हाथ उठाता है जैसे सलाम करना चाहता हो। लेकिन हाथ गिर पड़ता है। रॉबर्ट के मुख पर शत्रु भाव की जगह आश्चर्य अंकित हो जाता है। दोनों अपने सिर सम्मान के भाव से झुका लेते हैं। ऐश्वनी धीरे-धीरे अपने पर्देदार दरवाज़े की तरफ जाता है। एका-एक वह लड़खड़ाता है जैसे गिरने गिरने हो रहा हो। फिर सँभल जाता। एनिड और एडगार जो कमरे में से दौड़ कर पाया है। उसको सहारा देते हैं । रॉबर्ट कई सेकंड तक एंथ्वनी को ध्यान से देखता हुआ खड़ा रहता है, तब बड़े कमरे में चला जाता है।]

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