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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/८७

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अङ्क १]
[दृश्य १
हड़ताल

ऐंथ्वनी

कोई बूढ़ा आदमी बूढ़ी औरतों की सी बातें सुनना पसन्द नहीं करता।

एनिड

लेकिन अगर आपके लिए यह सिद्धान्त की ही बात हो तब भी आप बहुत कुछ कर चुके।

ऐंथ्वनी

तुम्हारा यह खयाल है!

एनिड

अब इन बातों में न पड़िए दादा, आपको हमारा ख्याल करना चाहिए।

[उसके चेहरे से याचना का भाव प्रकट होता है।]

ऐंथ्वनी

रखता हूँ।

एनिड

यह भार आप सह न सकेंगे।

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