पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१०३

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१२ चूर, और हरा धनियाँ को छोड़ दो बाकी सब को थोड़े घी या तेल में भून कर महीन पीस लो । फिर भरते में मिला कर सान लो। नमक प्रादि भी पीस कर मिला दो । मीठी चीजों में एक छटॉक चीनी भी मिला दो। आलू , बेंगन, करेला, परवल, तेल में अच्छे बनते हैं, शेष चीजें घी में बनाई जावें। साग-भाजी बनाने में बुद्धिमत्ता की ज़रूरत है। प्रत्येक चीज़ को सफाई से बनाओ। सुन्दरता और सुघराई से परसो तो वह पदार्थ चाहे कसा ही साधारण हो, अति स्वादिष्ट बन जायगा। दाल प्रायः दालें दो प्रकार की बनती हैं। एक छिलकेदार, दूसरी धुली हुई । प्रत्येक दाल को दल कर सूप से फटक कर उसका कूड़ा कर्कट बीन डालो, यदि खड़ी मूग या उर्द दलने से प्रथम थोड़ा भुजवा लिया जाय तो वह दाल स्वादिष्ट भी हो जाती है और गलती भी जल्दी है। धुली दाल बनाने की विधियाँ हैं--१ पानी में मिला कर; २ मोय कर । पानी में दाल को भिगो दो। जब भली भांति फूल जाय तब दोनों हाथों से मसल-मसल कर भली भांति छिलका अलग कर लो। पीछे पानी छोड़ दो। इससे दाल नीचे बैठ जायगी और छिलके तैर श्रावेगें। पान के साथ ही छिलके बहा दो। इसी प्रकार कई बार करने से दाल बिल्कुल साफ़ हो जावेगी । उसे धूप में सुखा कर रख लो। दूसरी विधि यह है कि खड़ी उर्द या मूंग को धूप में भली भांति सुखा लो फिर सेर दाल में ! तोला के हिसाब से तेल पानी में मिला कर उसे दाल खूब मसल दो । फिर ढक कर रात भर रखी रहने दो। सबेरे फिर धूप में डालो । खूब सूखने पर दल लो और अोखलों में छाँट कर सूप से फटक दो । सब छिलका पृथक् पृथक हो जायगा । इस काम में होशियारी की बात यही है कि दालें मोयने, दलने और छाँटने में टूटे