पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/११५

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१०४ लुचई पूरी- मैदा की बनती है । मैदे को कड़ा सान कर सादी पूरी की भांति बना लो। परांवठे-. पूरी से कुछ नरम आटा माँड़ कर लोई को बेल कर तवे पर डालती जागो और उसके चारों तरफ घी डालो, जब दोनों ओर से अच्छी तरह सिक जाय तब उतार लो, इस रीति से घी कम लगता है, उत्तम परांवठे की रीति यह है-बनाने के सब से प्रथम प्राटे को दूध या मलाई डाल अच्छी तरह गंध लो, फिर चकले पर बेल तवे पर छोड़ दो, घी लगाती जाओ,जब रंगत में लाली पा जाय निकालती जायो । फिर इसके स्वाद को दखिए बड़े स्वादिष्ट और शक्ति वर्द्धक होते हैं। बढ़िया परॉवठे-- १ सेर घर का पीसा श्राटा, १ सेर अरवी--अरवी को उबाल कर छील लो और पीतल की चलनी से दबा-दबा कर उसके छेदों से महीन- महीन निकाल लो। फिर आटे के साथ मिला कर गूंध लो । जब एक- जान हो जाय तब जीरा, अजवाइन,और नमक मिला दो और परांवठे की भाँति बेल कर तवे पर डालो धीमी आँच से पकायो, धीरे-धीरे घी का पुचाड़ा देते जाओ, ये परांवठे इतने स्वादिष्ट और खस्ता बनेंगे कि पाव भर मोयन से भी नहीं बन सकते। मिष्टान्न चाशनी- जितनी खांड हो उससे आधा पानी डाल भट्टी के ऊपर कढ़ाई में चहा दो और मुसद्दी [जो काठ की बनी होती है ] से घोलो और पाँच दो । जब उफान पाने लगे तब मन पीछे २॥ सेर पानी खड़े हो कर ऊंचे से चारों ओर कढ़ाई में डाल दो । जब मैल फूल कर भाग बन जावे तब