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पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/११७

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१०६ ज्योढ़ा बूरा मिलावे और एक रस कर के मेवा डाल लड्डू बांध ले। मूंग वा उरद की पिट्टी के लड्डु- दाल को पानी में भिगो कर खूब धो लो ताकि छिल्का न रहे, उसकी महीन पिट्ठी पीस, नुकती छांट लो और मोतीचूर की भाँति बाँध लो। सूजी वा मगद का लड्ड-- सूजी के बराबर घी कढ़ाई में चढ़ा कर मन्दी-मन्दी श्राग से भूनो कौंचा से चलाती जायो, जब उसका रंग बादाम का-सा हो जावे और सुगन्ध उठने लगे तब उतार कर ठण्डा कर लो । सवाया बूरा और मेवा डाल कर लड्डू बांध लो। बख्ते का लड्डू-- खिले हुए चनों के छिल्के उतार, बहुत महीन पीस लो और धीमी धीमी आँच से भून लो । क्योंकि यह तनिक-सी तेज आँच में जल जाते हैं और बूरा मिला कर उसी प्रकार बांध लो। चुटिये का लड्ड- एक सेर मैदा में आध पाव घी डाल कर हाथ से मसल लो और गुनगुने पानी से उसन कर छटाँक छटाँक भर की मुठिया बना लो और धी में उतार लो और कूट-छान कर कढ़ाई का बचा हुआ घी उसमें मिला दो और उसी के बराबर बूरा और मेवा या कन्द डाल कर लडडू बना लो। चूरमे, तिल, गुड़धानी, मुरमुरे, फाफड़ा- इनके लड्डू बनाने कुछ कठिन नहीं हैं । पूड़ी को मीड़ कर बूरा या गुड़ मिला कर बांध लेते हैं। अन्य चीजों के लिए गुड़ या बूरे को चाशनी कर के इन्हें मिला कर बाँध लो, परन्तु चाशनी बनाने के समय देख लो कि वह डालने से जमती है या नहीं।