१०५ निकाल-निकाल कर चाशनी में डाल, पौना या कलछी से दबा कर अलग किसी थाल में रखती जाओ । चाशनी मैदा से दुगनी वा ढाई गुनी होनी चाहिए। अमरती- उरद की दाल को तीन पहर भिगो कर इस प्रकार धोश्रो कि छिलका न रहे, फिर उसको बीन कर बहुत महीन पीसो और एक कपड़ा चालिश्त भर लम्बा-चौड़ा ले कर उसके बीच में छेद कर उसको चारों तरफ से सी दो, फिर उरद से तिगुनी उपरोक्त प्रकार की चाशनी बना कर रख लो। इसके पीछे भट्टी पर तई में घी चढ़ायो। और पिट्ठी को अच्छे प्रकार फेंट लो, छेद वाले कपड़े में जलेबी की तरह छोटा सा गोलाकार बनायो इसके बाद तपे हुए घी में कपड़े के सहारे पिट्ठी डालो । अमरती की बनावट के लिए सबसे पहले एक छोटा-सा गोलाकार बनायो । फिर गोले से दाहिनी तरफ छोटे-छोटे गोल खाने बनातो जानो, इसी भांति श्रमरती तोड़ो फिर बांस की सींक से उलट कर सेंक लो और जलेबी की भांति चाशनी में डुबो कर अलग किसी थाल में रखती जानो। पेड़ा- ढाई सेर उत्तम खोवा ले कर उसको धीमी-धीमी आँच से स्वच्छ कढ़ाई में भूनो । सेर भर कन्द या शक्कर डालो, फिर थोड़ी देर चला कर उतार लो। ठण्डा हो जाने पर शक्कर मिला कर खूब मलो। फिर इला- यची, पिस्ता, चिरोंजी और लौंग का चूरा डाल कर छोटी-छोटी भाटे की तरह लोई ले, हाथ या कढ़ाई में दबा कर चुनती जानो। बर्फी- गौ या भैंस का ताजा खोवा ढाई सेर स्वच्छ कढ़ाई में धीमी-धीमी पाँच से अच्छी तरह भून लो,नीचे उतार कर कुछ गरम रहे तब एक सेर
पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/११९
दिखावट