पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१३४

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१२३ माशे, गुलाब जल दो तोले, सबको एक में मिला कर ठण्डा कर अमृत मन में भर ले। जमीकन्द- जमीकन्द पुराना, जो सड़ा-गला न हो एक सेर, चीनी ३ सेर, छोटी इलायची एक तो०, गोल मिर्च पाठ माशे, केशर दो माशे, गुलाब जल दो तो०, नमक १ तो०, हल्दी ४ माशे, सरसों का तेल १ छटाक और धी पाव भर ले कर हाथों में तेल लगा जमीकन्द को छील डालो, उपरान्त टुकड़े कर नमक, हल्दी में लपेट कर रख दो । जो विषेला पानी निकले उसे फेंक दो। इसी प्रकार तीन बार करो। फिर पकने को अग्नि पर चढ़ा दो और उसमें नीबू का रस डाल दो । पानी जब वहीं सूख जाय तो बी डाल तल जो, फिर उक्त चीनी की चाशनी डाल गाढ़ी होने पर इलायची, काली मिर्च, के गर को गुलाब जल में पीस कर कढ़ाई में डाल नीचे उतार लो। जमीकन्द का मुरब्बा बवासीर वालों को अति लाभदायक है । अच्छी मोटी-मोटी गाजर ले कर ऊपर से छील कांटे से गोद लो, पीछे पानी में उबाल- -दो सेर चीनी की चाशनी में पकायो। पकाते समय एक नींबू का रस डाल दो और बर्तन में भर लो। नींबू-- नींबू ले का झामे पर रगड़ कोटे से गोद मिट्टी की हांड़ी में डाल पानी भर कर १ तोला खड़िया मिट्टी, बिना पिसा पत्थर का चूना १ तोला डाल नीबुत्रों को पकायो । दो-चार उबाल पाने पर चख कर देखो खटाई गई है या नहीं, जब चली जाय तो निचोड़, २॥ सेर चीनी को चाशनी में भर कर पकाए । जब गाढ़ी हो तो उतार किसी चीनी के बर्तन में भर दो। यह मस्तिष्क में शक्ति उत्पन्न करता है।