पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१३३

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१२२ भिगो कर कुछ देर रख दो, फिर निकाल कर प्राध पाव मिश्री और एक सेर पानी में डाल उबाल ले । उबल जाएं तो निकाल कर पांच सेर चीनी को चाशनी में पका कर, एक तो० गुजराती इलायची, ६ माश काली मिर्च और ४ माशा केशर; थोड़े दूध में घोंट कर उस में छोड़ दो। उएढा कर काम में लाभो। आंवला-. आंवले का मुरब्बा तभी अच्छा बनता है, जब कि वे अच्छी तरह पके हों, विशेष कर फाल्गुन-चैत में वे पकते हैं । ५ सेर प्रांवले ले तीन दिन तक पानी में भिगो दो । फिर कांटे से गोद चूने के पानी में तीन दिन तक भिगो दो । फिर साफ पानी से धो कर श्राध पाव मिश्री तथा १॥ सेर पानी में डाल जोश दो । फिर कपड़े पर फैला कर फरेरा कर लो । फरेरा होने पर-सेर पीछे ढाई सेर चीनी की चाशनी बना उसमें प्रांवले लाल पकायो । जब गल जाय तब उसमें ६ माशे काली मिर्च, १॥ मा० केशर और १ तो० इलायची पीसकर मिला दे। यह अत्यन्त गुणकारी है। कमरख- पके कमरख १सेर, चीनी २॥ सेर, दही मीठा एक पाव, लाहौरी नमक १ पाव और कागजी नीबू एक नग । पहिले कमरख को कांटों से गोद कर हाडी में भर ऊपर से नमक डालो और हाडी को जोर से हिला दो । जो पानी उ में से निकले उसे निकाल कर फेंक दे । फिर १ तो. चूने के पानी में कमरख को थोड़ी देर हिलाती रहो। फिर उस पानी को फेंक दही पानी में आधा घण्टा हिलायो। तब श्राधपाव मिश्री उस पानी में मिला कर कमरख को हल्की उबाल दो और निचोड़ कर कपड़े पर फेला कर फरेरा कर लो। फिर एकतारी चाशनी चीनी की कर के उसमें कमरख छोड़ कर पकायो । जब कमरख अच्छी तरह गल जाय, तब नीबू काट कर छोड़ दो। पीछे इलायची छोटी १ तो० केशर दो