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चमड़ी की नमी बिगड़ जाने तथा उनके मोटे हो जाने का भय है। वे ग्रीष्म ऋतु में दिन को थोड़ा सो सकती हैं । पर उचित तो यह है कि यह श्रादत उनसे कतई छुड़ा दी जाय । बहुधा १५-१६ वर्ष की प्रायु में लड़कियां बहुत सोया करती हैं, इसलिये उन्हें सोने के लिए रात्रि को अधिक समय दे दिया जाय । १. १० वर्ष की लड़कियों के लिए दिन का सारा समय इस प्रकार बांट दिया जाए: शा से ७ तक शौच जाएं, मुंह धोवें, फिर घर की सफाई में लग जायं । यदि लड़कियां सम्पन्न घरों की हों और घर में नौकर भी हो, तो भी उन्हें प्रातःकाल एक घण्टा सफाई सम्बन्धी कुछ कार्य करना ही चाहिए। चीनी कांच के बर्तन साफ करना; रेशमी और कीमती कपड़े तहाकर रखना, पालमारी की चीजों को करीने से सजाना, किसी कीमती चीज को साफ करना प्रादि काम खूब फुती', तत्परता और सफाई से करें। __७ से ८ तक स्नान करके नाश्ता तैयार करने और परसने में माता या नौकरों को भरपूर सहायता करें । तैयार करने और परसने में सलीका, सफाई, किफायत श्रादि का ध्यान रखें, यदि नौकर काम कर रहे हों तो उनकी त्रुटियों पर नजर रखें । माता उन्हें समझा दे कि किन-किन बातों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है। नौकर लोग प्रायः काम-धन्धा करते-करते वस्तु चुरा लेते हैं, उस पर उन्हें भरपूर ध्यान रखना चाहिए । ____कन्याओं को स्नान करने के लिए सदैव बन्द कमरा होना चाहिए । ५.६ वर्ष तक कन्याएं माता के साथ और इससे अधिक आयु की स्वयम् नहावें । स्नान करती बार इन बानों का स्वयाल रखना चाहिए १-सबसे प्रथम दातों को दाँतुन, जीभी या मंजन से माफ करें, कोयला या राख भी इस काम में मदद दे सकती है । ब्रश था उंगली से यदि मंजन लगाया जाय या दातुन की जाय तो इस बात का खूब ध्यान