पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/३८

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२७ छूट व्यायाम और तेल मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए । शरीर को साबुन या बेसन लगा कर नहाना अच्छा है, इस से मैल जाता है और शरीर के रोमरन्ध्र या त्वचा के सूराख जिनसे पसीना निकलता है, साफ हो जाते हैं। न नहाने से उनमें मैल भर जाता है। परन्तु नित्य साबुन नहीं लगाना चाहिए। नहाने से शरीर में खून तेजी से दौड़ने लगता है, भूख खूब लगती है, चित्त शान्त और प्रसन्न हो जाता है। ठण्डे पानी से नहाना अच्छा है, पर मौसम बहुत ठण्डा हो या शरीर कमजोर हो तो गुनगुने पानी से ही नहाना ठीक होता है। कपड़े नहाने के बाद सूखे मोटे अंगोछ से शरीर को पोंछकर' साफ कपड़े पहनना चाहिये । मैले कपड़े कभी न पहनना चाहिये । क्योंकि उसका मैल शरीर में लग जाने से नहाने का लाभ जाता रहता है। सदा साफ धुले हुए कपड़े पहनना चाहिये । गरमी का मौसम हो तो सफेद या हल्के रंग के सूती या रेशमी और सरदी का मौसम हो तो. रंगीन ऊनी या रुई भरे हुए कपड़े पहनना चाहिये। सोते वक्त बिछौने की चादर साफ हो । श्रोदने की रजाई के नीचे साफ चादर लगा कर प्रोदना चाहिए और उसे हर हफ्ते धुलाना चाहिए। कपड़े तंग नहीं होने चाहिये क्योंकि इससे चलने-फिरने, खेलने- कूदने, उठने-बैठने और काम करने में या तो रुकावट पैदा होती है, या शरीर के अवयवों पर बल पड़ने से कपड़े फट जाते हैं। भोजन शरीर एक एन्जिन है जिसमें कोयला- पानी की हमेशा जरूरत