३४ ४---सब के काम श्राने वाली वस्तुओं को खराब नहीं करना चाहिये, कुएं, नदी, तालाब, बाग, बगीचे और सड़क के पास गन्दे काम नहीं करने चाहिये । इनको खराब नहीं करना चाहिये । बल्कि अपनी ही चीजों की तरह इनकी रक्षा करनी चाहिये। ५--रात में वृक्षों के नीचे न रहना चाहिए। रात में एक प्रकार की खराब हवा (कार्बोलिक एसिड गैस) वृक्षों के नीचे जमा हो जाती है जो तन्दुरुस्ती के लिये हानिकारक है। -शराब, भंग, तम्बाखू ( बीड़ी, सिगरेट, हुक्का) चाय, काफी आदि नहीं पीना चाहिये । जुया खेलना, चोरी करना, अफीम खाना श्रादि बुरी आदतों से दूर रहना चाहिये। ७--दुष्टों के संग से बचना चाहिये । ८--किसी के सामने मुह करके खाँसना, उबासी लेना, छींकना श्रनुचित है। ये काम करने हों तो दूर जा कर या मुँह के सामने हाथ रख कर करना चाहिये। 8--कुष्ट, खुजली, इजा, प्लेग, बुखार, शीतला, पातशक, (गरमी) सूजाक, क्षय ( तपेदिक) ये उड़ कर लगने वाली बीमारियाँ हैं, इनसे सब को बचना चाहिये। पढ़ना पढ़ने के समय कमर सीधी करके बैठना चाहिये और सब तरफ से मन हटा कर पाठ की ही तरफ ध्यान लगाना और समझ-बूझ कर याद करना चाहिये। लेट कर, टेढ़े तिरछे होकर, पढ़ने से आँखें खराब होती हैं और ध्यान भंग होता है।
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