पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/४९

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३८ आवश्यक बातें १-प्रत्येक चीज को बीन फटक कर साफ करके बन्द पात्र में हवादार स्थान में रखना । उसमें कोड़े, मकोड़े, चूहे यात्री आदि ना जाने पावें। -अन्न और दूसरी चीजें फसल में इकट्ठी लेकर सावधानी से रख लेनी चाहिये । नित्य खरीदने योग्य चीजें आवश्यकतानुसार ही लेनी चाहिए जिससे बासी न बच सके । गेहूँ, अरहर, चना, मटर ग्रादि चैत-बैसाख में संग्रह करने चाहिए और ज्वार, बाजरा, मूग, उर्द श्रादि अगहन-पूस में। चावल माघ-पूस में खरीदना अच्छा है। धृत प्रति सप्ताह या प्रति मास, सब्जी और फल नित्य खरीदना चाहिये। --पाकशाला और भण्डार स्वच्छ और हवादार होना चाहिये । वहां मक्खियां कदापि न जाने पावें । इसलिए किवाड़ों में जाली लगवा दी जाय । रसोई घर पर छप्पर हो तो प्रति सप्ताह उसकी राख,धूल, मकड़ी, जाला झाड़ देना चाहिये । ४-भण्डार और रसोई-घर में बर्तन तथा सामान इस तरह सजा कर सफाई से रखना चाहिए कि देखते ही चित्त प्रसन्न हो जाय । उनका रखने का ढंग ऐसा हो कि आवश्य चीजें झट मिल जांय । वस्तुएं रखने को मिट्टी, पत्थर, कांच, चीनी या धातु के बर्तन, बांस या तीलियों के बने टोकरे श्रादि का सुविधानुसार संग्रह होना चाहिए। -चूहे, चींटी,घुन, दीमक श्रादि भण्डार घर के दुश्मन होते हैं । इनसे सदा होशियार रहना चाहिये । गेहूँ में यदि उपलों की राख मिला दी जाय तो उसमें घुन नहीं लगेगा । रीठे की गुठली निकाल कर उसमें पारा भर कर रीठे का मुंह बन्द कर गेहूँ के ढेर में रखने से भी उसमें कीड़ा नहीं लगेगा। अमचूर इमली श्रादि यदि साल भर के लिये रक्खी जाये तो उन्हें समय समय पर धूप देना जरूरी है। खास कर वर्षा ऋतु में इसकी बड़ी जरूरत है।