पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५० -- घीया नोरई- चिकनी है, रक्त, पित्त तथा वायु को नष्ट करती है । घाव को भरने वाली है । ज्वर में पथ्य है ! तोरई-- ठंडी, मधुर, कफ-कारक, वात-कारक, पित्त-नाशक और अग्नि-प्रदीपक है । स्वास, खांसी, ज्वर और पेट के कीड़ों को नष्ट करती है । सब शाकों में श्रेष्ट है। परवल-- कडा, गरम, कुछ दस्तावर, पित्त, कफ, खाज, कोढ़, रक्त-विकार, ज्वर और दाह के लिए अति उत्तम है । आँखों की बीमारियों में खास फायदेमन्द है । पेट के कीड़ों को मारता है । त्रिदोष नाशक है । यह शाक पुराने ज्वर पर खास पथ्य है । सम बदी, रुचिकारक, कसैली, मुख और कण्ठ को शुद्ध करने वाली, अग्नि-प्रदीपक, और कफ-नाशक है। सेजन की फली-- स्वादिष्ट, कसैली, कफ-पित्त को दूर करने वाली, शूल, कोढ़, सय, श्वास, गुल्म को हरने वाली तथा अग्नि को अत्यन्त दीपन करने वाली है। भिण्डी-- रुचिकारक, भारी, बादी, वीर्य-वर्द्धक, कफ और बल-वर्द्धक है । खांसी, मन्दाग्नि, और पीनस रोग में हानिकारक है। बैंगन- तेज, गर्म, अग्नि-प्रदीपक, ज्वर और कफ को नाश करने वाला है। छोटा बैंगन पित्त-नाशक है, बड़ा पित्त उत्पन्न करता है । बैंगन का