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पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/६२

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भुरता कुछ पिन-कारक; हल्का और अग्नि को दीपन करने वाला है। तेल में पकाया बैंगन पुष्टिकर है । सफेद बैंगन बवासीर के लिये खास तौर पर मुफीद है; लम्बा बैंगन गुणों में अच्छा होता है। ग्वार की फली- रूग्वी; बादी; भारी; दस्तावर; और अग्नि प्रदीरक है। टिन्डे टेंढस-- दस्तावर, बहुत ठण्डे, वात-कारक, रूखे, मूत्र-वईक, पथरी रोग को नाश करने वाले हैं। जमीकन्द-- हाजमे को बढ़ाने वाला, रूग्वा, कपला, पचने वाला, चरचरा और हल्का है । बबासीर के लिये खास तौर पर फायदेमन्द है । तिल्ली और गोले की बीमारी में भी फायदा करता है । दाद, वन-खराबी, कोढ़ इन में मुफीद है। रतालू-- ठएडा, थकान को मिटाने वाला, पित्त-नाशक, बल, वीर्य-वर्द्धक, पुष्टिकारक और भारी है । सूजाक वाले को फायदा करंगा । अरवी-- कज करने वाली, चिकनी, भारी, बात और कफ उत्पन्न करने वाली है। तेल में पकाने से रुचिकारी हो जाती है। मूली-- छोटी मूली चरपरी, गरम, रुचिकारक,हल्की, पाचक, त्रिदोष नाशक स्वर को उत्तम करने वाली, ज्वर, श्वास, नाक, कण्ठ और नेत्रों के रोगों को नाश करती है । बडी मूली रूखी, गर्म, भारी और त्रिदोष उत्पन्न करती है । सूखी मूली खास तौर से सूजन को फायदेमन्द है । मूली की --