पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/७६

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६५ सुधारने वाला और जन्म की बीमारियों में गुणकारी है। कठिया गेहूँ- जो मारवाड़ में होता है-उसकी थूली दलिया बनती है। विशेष्य पुष्टिकारक, शीघ्रपाचक और मैथुन शक्ति को बढ़ाने वाला है। मधूली गेहूँ-- मथुरा, आगरा, दिल्ली में होता है । कुछ छोटा होता है वह ठण्डा, चिकना, हल्का, पुष्टिकारक और पथ्य है । मुण्डा गेहूँ- जिसकी बाल पर शूक नहीं होते, इसी के समान गुणकारक होता है। जौ- मधुर, ठण्डे, रूखे, मल को उखाड़ने वाले, बुद्धि वर्धक और पाचक होते हैं, पेशाब के रोगों में, चमड़ी के रोगों में, जुकाम और कण्ठ के रोगों में हितकर्ता हैं। ज्वार- सफेद ज्वार मीठी, बलकारी, बवासीर नाशक, वाय गोला, यो जख्म के रोगों में अच्छी है। मकई- खुश्क, ठण्डी और दुर्जर है बाजरा- गर्म, दस्तावर, कफ-नाशक और बलवर्द्धक है। कांगनी- पीली अच्छी होती है, टूटे स्थान को जोड़ती है। चना ठरडे, रूखे, कब्ज करके पेट को फुलाने वाले और ज्वर नाशक हैं