६६ -- सेव- दुर्जर होते हैं। बंदी के लड- बलकता, काबिज और ज्वर में हितकारी हैं। जलेबी- पुष्टि, कान्ति, बल, धातु आदि को बढ़ाने वाली, अत्यन्त स्त्री प्रसंग से निबल पुरुष को तत्काल फायदा करती है । शर्बत-- सब प्रकार के शर्बत प्रायः ठण्डे, दस्तावर, मूच्छा, वमन, पित्त और दाह नाराक होते हैं। पना- जो खटाई का बनता है, तत्काल इन्द्रियों को तृप्त करने वाला रुचि- कारक और बल कता है। सत्तू-- भूख, प्यास, अण्डवृद्धि, बहुमूत्र और नेत्र रोगों को नष्ट करने वाले और तृप्तिकारक हैं । पर पीने लायक करके पिया जावे। चबैना-- रुक्ष, शीघ्र पचने वाले और बल कता होते हैं । मिठाइयां- पचने में भारी होती हैं । रोगी तथा कमजोर को न खानी चाहिए । सूजी का हलुया, मूंग की बर्फी और नान खताई तथा पेटे की मिठाई बीमार को कभी-कभी दी जा सकती है । बहुमूत्र, मन्दाग्नि, संग्रहणी और जिगर के रोगी को रस गुल्ले और खोपरे के सन्देश जल्दी हजम हो जाते हैं।
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