पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/७९

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६८ बाटी-- वीर्य वर्धक, महा दुर्जर, पराक्रम उत्पन्न करने वाली है। शारीरिक परिश्रम करने वाले को खानी चाहिए। कचौरी-- नेत्रों के लिए हितकारी, और खून को बढ़ाने वाली है। बड़े-- उर्द के, तेल में बनते हैं। वीयं वधंक और लकवे के रोग में विशेप गुण करते हैं। - दही बड़े- रुचिकर्ता, बलका और विवंध नाशक होते हैं। कांजी बड़े-- ठण्डे, दाह, शूल, अजीर्ण सब को नाश करते हैं। नेत्रों के रोग में नहीं खाना चाहिए। मूंग की पकौड़ी- हल्की और शीतल है। कढ़ी-- पाचक, रुचिवर्धक, कफ और बादी, विवन्ध को नाश करती और कुछ पित्त को बढ़ाती है। मठरी-- भारी किन्तु वीर्यवद्धक है। गूंझा-- उपरोक्त गुण युक्त, किन्तु हीन । हल्की और पुप्टिकर है।