पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७१ चिकनाई गाय के दूध से कम होती है । जिन पशुओं को मुंह, खुर और छाती की बीमारियाँ होती हैं, उनका दूध दूषित हो जाता है । घाव वाले पशु का दूध पीना अनुचित है। उससे सख्त ज्वर (मियादी-बुखार) मन्दाग्नि, गुल्म, शूल, क्षय और दाह रोग हो जाने का भय है । जिस दूध से मक्खन निकाल लिया जाता है, उसमें पोषक तत्व और शर्करा बदस्तूर रहती है। सिर्फ चिकनाई का भाग-- हाथ से मक्खन निकालने पर सौ में १ भाग और मशीन से निकालने पर उससे भी चौथाई रह जाता है। जमाया हुआ बिलायती दूध ( Conddensed milk ) तृतीयांश गाढ़ा होता है और इसमें प्रायः गन्ने की शक्कर मिली होती है। मलाई- मलाई के वैज्ञानिक विश्लेषण करने से उसमें नीचे लिखे तत्व पाये गये हैं। पोपक-तत्व २.५, चिकनाई १८.५, शर्करा ४.५, नमक ४.५, पानी ७५.० जितने प्रकार की चिकनी चीजें हैं, उनमें मलाई सब से जल्दी हजम होने वाली है। यह काडलीव्हर ऑइल से कहीं ऊंचे दरजे को पुष्ठिकर और ग्राह्य है । मलाई की चिकनाई का भाग वही है जो मक्खन में है, परन्तु मक्खन की बनिस्बत मलाई बहुत महंगी पड़ती है। अच्छे दूध में सेर पीछे एक पाव मावा, तीन छटांक मलाई, १॥ पाव रबड़ी और एक छटाँक धी बैठता है। मलाई जमाने की विधि यह है कि दूध को खूब श्रीटायो और चौड़े मुंह के बर्तनों में एकान्त स्थान में ठंडा होने को रख दो । मिट्टी के कूडे मलाई जमाने के लिए अच्छे होते हैं । अथवा सोबह-सतरह इंच लम्बे और ७.८ इंच चौड़े तथा १॥ इंच गहरे तश्तरी के श्राकार के ताम्बे के