पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७२ और ठण्डा पात्र जिन पर अच्छी कलई हो-मलाई जमाने में अच्छे रहते हैं । दूध डालने से पहले उन्हें अच्छी तरह रगड़ कर धो लेना चाहिये । किसी तरह की चिकनाई और खट्टी गन्ध उनमें न रह जाय । फिर थोड़ा धूप में सुखा कर उनमें दूध भर देना चाहिए। ये पात्र दूध से पौने भर देने चाहिए, और दूध को सलाटे के कमरे में रख देना चाहिए, जो बन्द हो, कोई आने-जाने से वहाँ की हवा में विघ्न पड़ेगा और मलाई ठीक न जमेगी । गर्मी में रात को किवाड़ खोल देने चाहिए। जब तक मलाई न जम ले, बर्तन कदापि न हिलने पावे; बतंगों के नीचे रेत बिछा देना बहुत अच्छा होता है। बदली के दिनों में मलाई अच्छी नहीं जमती । पाले का दिन बहुत ही बुरा है । मलाई जमाने के लिए उजला साफ धूप का दिन ठीक है। मलाई उसी दूध में पड़ सकती है, जिसे रखे घन्टे से अधिक न हुआ हो । पर गर्मी और बरसात में दूध जल्दी खट्टा हो जाता है। इसलिए दूध को ताजा-ताजा उबाल कर मलाई बना लेनी चाहए, कच्चे दूध की अपेक्षा प्रौटे हुए दूध में मलाई अच्छी पड़ती है। मलाई और मक्खन के लिये दूध को पीने के दूध की अपेक्षा अधिक उबालो । परन्तु याद रहे कि उबाला हुआ दूध खट्टा जल्दी हो जाता है । चाँदी के प्याले, गिलास और चम्मच से भी दूध खट्टा हो जाता है । लोहे से दूध का गुण तो नहीं कम होता, पर मलाई का रंग कुछ मैला अवश्य हो जाता है । पीतल के बर्तन में दूध रखने से पितला जाता है। नये मिट्टी के बर्तन में दूध सौंधा हो जाता और मलाई मक्खन भी खूब निकलता है। फूल जस्ते और कलाई के बर्तन भी अच्छे हैं, काठ के पात्र भी बुरे नहीं हैं। मक्खन-- मक्खन गर्म दूध का अच्छा, गाढ़ा, चिकना और अधिक स्वादिष्ट होता है । पर गमी में कच्चे ही दूध का निकालना चाहिए । यदि दूध से तमाम मक्खन निकालना हो तो उसे रात दिन रक्खा रहने दो, हिलाअो-