पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/८९

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७८ यह है कि दही दही बड़ा उपयोगी और स्वादिष्ट पदार्थ है । इससे मीठे और नमकीन बड़े ही सुन्दर व्यंजन बनते हैं, जो अपने स्वाद में किसी की सानी नहीं रखतं । किसी-किसी नगर का दही प्रसिद्ध है। यू० पी० में दही अच्छा होता है। दही जमाने को विधी- दूध को एक या दो उबाल देकर प्रौटाओ, पीछे कूडों में भर कर जरा ठण्डा करो; गमी में जरा ठण्डा ज्यादा होना चाहिए। तिस पीछे जरा-सा खट्टा दही या मठ्ठा उसमें डाल दो और उलट पुलट कर गड़बड़ कर दो। ४ या ५ घंटे में दही जम जाता है, चक्का दही की तारीफ है, जो ऐसा हो कि कूड़ा उलट दें तो एक डला सा गिर जाय, पानी न बहे । पानी के दही को कपड़े में बाँध कर निचोड़ते है-- वह बहुत सौंधा हो जाता है। गुण दही स्वादु, बलकारक, रुचि बढ़ाने वाला, दीपन, ग्राही और संग्रहणी में हितकारी है। मीठा दही- गाढ़ा, वीर्य वद्धक, भारी और ठण्डा है। फीका दही- मूत्र लाने वाला, दाह कारक और भारी है। खट्टा दही- रक्त बिगाड़ने वाला, पाचक और अग्नि दीपक है। बहुत खट्टा- पाचक और जलन करने वाला है । -