७६ चीनी मिला दही-- पित्त, दाह, प्यास को शान्त करता, और तृप्ति की है। गुड़ मिला दही-- धातु बद्धक, भारी और वात नाशक है। दही का तोड़- दस्तावर, गर्म, बवासीर, कब्ज और शूल, दमा को नाश करता है। दही की मलाई दस्तावर, भारो, वीर्य-वर्द्धक और अग्नि मन्द करने वाली है। रायता- दही में नमक, मिर्च, जीरा, पोदीना, श्रादि मसाला और काददू- गाजर-बथुप्रा आदि डाल कर जो रायता बनाते हैं, वह पाचक, रुचि- कारक और हृदय को हितकारी है। रसाला (लस्सी)- दही मीठा १ सेर, १ पाव बताशा डाल कर मथ लो, पीछे १ पाव कच्चा दूध मिलायो, थोड़ी इलायची बड़ी और मिश्री डालो; बर्फ में ठण्डा करके ज्येष्ठ-वैशाख की दुपहरी में पीअो । थके-मांदे मेहमान को दो; स्वाद और की तारीफ व्यर्थ है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी दही श्रायु को बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ है, भारत में तो चिर काल से दही खाया जाता है, और इसकी प्रशंसा में वड़े-बड़े लेख लिखे गए हैं। दही भोजन के अन्त में कदापि न खाना चाहिए। रोगों पर दही का उपयोग अजीर्ण- गौ का दही या मठ्ठा बराबर पानी मिला कर पीवें। इससे भारी से
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