पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/९३

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२ को मट्ठा-भात दं। ४--मूंगफली अधिक ग्वाने से कुछ बिगाड़ हो तो मट्ठा पीना चाहिये। --बवासीर पर बफारा-- बवासीर के मस्से खूब फूल गये हों या रक्त की धारा बन्द न हो, मस्सों में भयंकर जलन, चमक और तकलीफ हो, रोगी को अत्यन्त कष्ट हो तो यह उपाय करना चाहिये कि एक इंट श्राग में खूब लाल कर लेनी चाहिए और २।२।। सेर ताजी गाय के छाछ में ६ माशा अफीम घोल कर इंट पर जल्दी से छिड़कना चाहिये और झटपट इंट को साफ कपड़े में लपेट कर रोगी को चित्त लिटा कर गुदा के पास रख देना चाहिये। जिससे मस्सों पर सुहाता-सुहाता सेंक लगे । यह संक रोगी को अत्यन्त श्राराम पहुंचाता है। शाक बनाने की रीति आलू-- श्रालू शाकों का बादशाह है । इसके बनाने की सर्वोत्तम रीति यह है कि-पालू को पानी में छोड़ कर उबाल लो। फिर सावधानी से छील लो । ध्यान रखो कि बालू के छिलके से सटा हुश्रा एक पदार्थ है जो बहुत पुष्टि कर है--वह छिलका साथ न फेंक दिया जाय । कच्चे आलू छील कर बनाने से यह पदार्थ नष्ट हो जाता है । छिले हुए श्रालू के मोटे-मोटे टुकड़े चाकू से कर लो,। फिर सेर भर आलू को पाव भर घी में पूरी की भाँति तल लो । इसके बाद २ तोला धनियाँ, २ माशा लोंग, बड़ी इलायची ६ माशा, काली मिर्च ६ माशा, तेजपात ३ माशा, हल्दी ५ माशे, अदरख ४ माशे लाल मिर्च ४ मा०- सब को पानी में पीस कर लुगदी बना लो । अब पतीली में थोड़ा घी छोड़ कर यह मसाला मन्द-मन्द भून लो । जब मसाले में दाने पड़ने और सुख