पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/९२

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८१ मीठी छाछ- कफकारक, और वात-पित्त नाशक है। खट्टा मट्ठा-- रक्त-पित्त और कृमि करने वाला है। उसमें सेंधा नमक डाल कर पीने से वात शमन होता है। षिद्ध-- घाव वाले को, दुबले अादमी को मूबी रोगी को और खून जाने वाले को, मट्ठा नहीं देना चाहिए । रोगों पर छाछ का उपयोग १-शरीर में जलन-- मढ़ में कपड़ा भिगो कर रोगी को उढ़ा देवे । २-अतिसार और बवासीर- नित्य मट्ठा पीना चाहिये। इससे नाड़ियों का रक्त शुद्ध होता है । रस, बल, पुष्टि और शरीर की कान्ति उत्तम होती है। हर्ष प्राप्त होता है और वायु के विकार नष्ट होते हैं। ३--कफ- अजवायन और काला नमक डाल कर मट्ठा पीना लाभदायक है। ४-बवासीर-- चीता की जड़ की छाल पीस कर मिट्टी के बर्तन में भीतर लेप कर देना । और धूप में सुखा कर उसमें दही जमा ले और रोगी को पिलाये। ५-संग्रहणी-- गाय के मठ में १ तोला पिसी हुई काली मूसली डाल कर देवें। खाने