पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/९८

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८७ वह शाक अालू की ही भांति, उसी मसाले से बनाया जाता है । बहुधा इसमें आलू डाल कर ही बनाते हैं। पर कभी-कभी अकेला भी बनता है। परवल की एक खास प्रकार की तरकारी बंगाली अमीर लोग खास- खास मौकों पर बनाते हैं । वह बड़ी स्वादिष्ट होती है, जब किसी महमान की खातिर मंजूर है तभी वह बनाई जाती है। विधि यह है--एक सेर परवल को खुरच कर उपमें पाव भर श्रालू छील कतर-कर मिला लो। पाव भर मीटा दही, ६ माशा हल्दी, १ तोला धनियाँ, २ माशा मिर्च- लाल, चार माशे तेज पात, १ माशा लौंग, १ माशा दालचीनी, ४ माशा बड़ी इलायची, १॥ माशा जीरा, १ माशा सफेद जीरा, : रत्ती होंग, पैसे भर श्रदरख, प्राधा पाव किशमिश, डेढ़ तोला नमक, पाव भर घी, आधी छंटाक अमचूर और १ तोला चीनी, सब का संग्रह कर पास रखो। होंग, चार पत्त तेजपात, चार रत्ती स्याह जीरा, छोड़ कर बाकी सब चीजों को पानी में पीस कर कटोरी में रख लो और किशमिश साफ पानी में भिगो कर रख लो । अब एक पतीली में घी डाल कर हींग, तेजपात, और काला जीरा का बघार द पालू परवल डाल दो और खूब भूनों, जब सुगन्ध आने लगे तब किशमिश डाल कर दो तीन बार चला दो और दही का छींटा दे कर फिर भून लो । भुन जाने जैसा है उस अन्दाज से पानी-नमक छोड़ दो। और पकने दो । जब श्राल. परवल गल जाय और रसा गाढ़ा हो जाय तब श्रमचूा, चीनी छोड़ कर कुछ देर अंगारों पर रख कर दम दे लो । फिर कलईदार बर्तन में उड़ेल दो। पपीता कच्चा पपीता तरकारी के काम में आता है। यह बवासीर के रोगी के लिए बहुत गुणकारी है । कब्ज के रोगी को भी फायदं मन्द है । इसके बनाने की विधि यह है । छिला और कतरा हुअा शाक पपीता । सेर, जीरा धनियाँ तीन तोला, काला तिल १ तोला, चीनी श्राधी छ० पर रसा रखना