पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/९७

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८६ निकाल डालो । यदि बीज नर्म हों तो निकाल कर पास रख लो टिण्डे टूटने न पावे फिर धनियाँ १ छ०, सौंफ १ छ०, राई दो तोला, हल्दी १ तोला नमक : तो० ४ माशा दोनों जीरे, ६-६ माशा, लांग इलायची ६-६ माशा, सब को साफ कर पीस, तवे पर जरा सा घी डाल भून लो। इसमें टिण्ड के बीजों को भी पीस कर मिला दो। वह मसाला टिण्डों में भर दो। फिर डोरे से बाँध कहाइ में घी चढ़ा कर तलो । अत्यन्त स्वादिष्ट बनते है। तुरई कई प्रकार की होती है, जैसे गम तुरई, घिया तुरई, नसीली तुरई श्रादि । तुरई और बीया कद, तथा खीरा के बनाने की रीति समान है। खास तौर से बनाना हो तो चचड़े की भांति भी बना सकते हैं । साधारण विधि यह है कि इनके छोटे छोटे कतले कर पानी में धो डालो। पीछे उपयुक्न धी देगची में चटा कर हींग,जीरा, लाल मिरच का बघार दे कर छांक दो । उपयुक्त पानी डाल दो और तैयार होने पर नीबू निचोड़ दो और कलईदार वर्तन में रग्यो । गाजर की तरकारी- मोटी-मोटी गाजरें ले ऊपर से खुर्च कर लम्बाई में चीर डालो और बीच का डण्ठल निकाल कर छोटे-छोटे कतले कर लो। फिर पतीली में उपयुक्त घी चढ़ा कर २ माशा सफेद जीरे के बवार में गाजर छोक दो। ऊपर से नमक, मिर्च तथा पाव भर दही डाल कर चला दो। जब भली भांति गल जाए तब चार माशा धनिया, पिसा और भुना गर्म मसाला छोड़ कर फिर चला दो और ५ मिनट बाद कलई के बर्तन में उतार लो। ध्यान रक्खो कि गाजर की तरकारी लोहे के बर्तन में नहीं पकाई जावे, वरना काली पड़ जायगी। क्योंकि इसमें लोहे का अंश होता है। परवल- परवल का शाक रोगियों के लिए सुपथ्य, गुणकारी और स्वादिष्ट है।